उत्तर प्रदेश के कर्मचारियों के लिए जरूरी हुआ 'कर्मयोगी प्रमाणपत्र' – बिना इसके नहीं मिलेगी सैलरी


नमस्कार पाठकों 
यदि आप उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग में चाहे किसी सरकारी पद पर हो या संविदा के पद यह जरुरी सूचना फिर आपके लिए ही है क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के सभी कर्मचारियों के लिए एक नया आदेश जारी किया है। अब कर्मयोगी भारत पोर्टल से 'कर्मयोगी प्रमाणपत्र' प्राप्त करना अनिवार्य कर दिया गया है। यह प्रमाणपत्र तब मिलेगा, जब कर्मचारी पोर्टल पर जाकर एक ऑनलाइन कोर्स करें और उस कोर्स की परीक्षा पास करें। इसके बिना जुलाई 2025 की सैलरी रोकी जा सकती है।


उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग कर्मयोगी प्रमाणपत्र सैलरी नियम 2025
यूपी सरकार का नया आदेश – कर्मयोगी प्रमाणपत्र के बिना जुलाई की सैलरी नहीं


Highlights

  • कर्मयोगी प्रमाणपत्र के बिना सैलरी नहीं मिलेगी
  • कर्मचारियों को पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य
  • ऑनलाइन कोर्स पूरा करके परीक्षा पास करनी होगी
  • प्रमाणपत्र मिलने पर ही जुलाई की वेतन जारी होगी
  • गांवों में इंटरनेट और तकनीकी दिक्कतें सामने आईं

नया नियम क्या है?

स्वास्थ्य विभाग ने साफ कहा है कि जब तक कोई कर्मचारी कर्मयोगी भारत पोर्टल पर जाकर कोर्स पूरा करके परीक्षा पास नहीं करेगा, उसे सैलरी नहीं दी जाएगी। यह आदेश उत्तर प्रदेश के महानिदेशक स्वास्थ्य द्वारा जारी किया गया है। इस आदेश के अनुसार, सभी कर्मचारियों को एक निर्धारित ऑनलाइन ट्रेनिंग कोर्स करना और परीक्षा पास करना अनिवार्य है।

कर्मयोगी प्रमाणपत्र कैसे मिलेगा?

कर्मयोगी प्रमाणपत्र पाने के लिए कर्मचारियों को निम्नलिखित प्रक्रिया पूरी करनी होगी:

  • सबसे पहले karmayogibharat.gov.in वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करें।
  • निर्धारित कोर्स को पूरा करें और सभी मॉड्यूल समझें।
  • कोर्स पूरा होने के बाद ऑनलाइन परीक्षा दें।
  • परीक्षा पास करने पर ही कर्मयोगी प्रमाणपत्र मिलेगा।
  • प्रमाणपत्र मिलने के बाद ही जुलाई माह की सैलरी जारी की जाएगी।

मिशन कर्मयोगी क्या है?

Mission Karmayogi भारत सरकार की एक डिजिटल योजना है जिसका उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों को बेहतर और दक्ष बनाना है। इस योजना के अंतर्गत कर्मयोगी भारत पोर्टल पर सरकारी अधिकारी और कर्मचारी ऑनलाइन कोर्स कर सकते हैं, नई जानकारी हासिल कर सकते हैं और समय के साथ अपने कौशल को अपडेट कर सकते हैं।

सरकार चाहती है कि अफसर और कर्मचारी सिर्फ ऑर्डर देने वाले न बनें, बल्कि जनता के लिए उपयोगी और सहयोगी भूमिका निभाएं। मिशन कर्मयोगी का उद्देश्य यही है कि अधिकारी समय, स्थान और सुविधा के अनुसार सीख सकें और अपने काम में निरंतर सुधार कर सकें।

विभाग ने इसे अनिवार्य क्यों किया?

स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि यह निर्णय कर्मचारियों के कार्य-कौशल को बढ़ाने के लिए लिया गया है। विभाग के अनुसार, यह केंद्र सरकार की एक बड़ी पहल है जिसका उद्देश्य सरकारी सेवाओं की गुणवत्ता सुधारना है। कर्मचारियों को आगे भी इस प्रकार की ट्रेनिंग से गुजरना पड़ेगा, इसलिए सभी को समय रहते पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करके कोर्स पूरा करना जरूरी है।

गांवों में आ रही हैं समस्याएं

इस योजना को लागू करने में कुछ चुनौतियाँ भी सामने आ रही हैं। खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां इंटरनेट की सुविधा सीमित है और तकनीकी जानकारी की कमी है, वहां कई कर्मचारियों को रजिस्ट्रेशन और परीक्षा में दिक्कतें आ रही हैं। सरकार इस दिशा में समाधान खोजने की कोशिश कर रही है।

कर्मयोगी प्रमाणपत्र क्यों जरूरी है?

यह प्रमाणपत्र सिर्फ एक फॉर्मेलिटी नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई फायदे छिपे हैं। इसके माध्यम से:

  • कर्मचारी नई स्किल्स सीख पाएंगे।
  • सरकारी सेवाओं की गुणवत्ता बेहतर होगी।
  • कर्मियों की ट्रेनिंग और प्रमोशन में मदद मिलेगी।
  • जनता को तेज और पारदर्शी सेवाएं मिलेंगी।
  • सरकारी कामकाज में आधुनिकता और दक्षता आएगी।

निष्कर्ष

Karmayogi Certificate अब केवल एक कागज़ी काम नहीं है, बल्कि यह सैलरी से सीधा जुड़ गया है। उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के सभी कर्मचारियों को जल्द से जल्द Official Portal पर जाकर रजिस्ट्रेशन कर कोर्स पूरा करना चाहिए। इससे न केवल उनकी सैलरी समय से मिलेगी, बल्कि भविष्य में प्रमोशन और अन्य योजनाओं में भी लाभ मिलेगा।


डिस्क्लेमर (Disclaimer):

यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई सभी जानकारियाँ सरकारी विभागों, समाचार स्रोतों व पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर प्रस्तुत की गई हैं। कृपया किसी भी निर्णय से पहले संबंधित आधिकारिक वेबसाइट (https://karmayogibharat.gov.in) या अपने विभागीय अधिकारी से पुष्टि अवश्य करें। लेखक या ब्लॉग किसी भी प्रकार की त्रुटि या नीति परिवर्तन की जिम्मेदारी नहीं लेता।

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