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Thursday, 5 June 2025

संविदा व आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिये ख़ुशख़बरी- सभी कर्मचारियों को मिलेंगे अब न्यूनतम 20000 रू का मानदेय, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की घोषणा


 

Good News Outsource Employee : उत्तर प्रदेश सरकार ने लंबे समय से उत्पीड़न झेल रहे आउटसोर्थ कर्मचारियों को राहत प्रदान करने की दिशा में एक बड़ा फैसला लिया है राज्य में आउटसोर्स कर्मचारी निगम की स्थापना की लगभग सभी प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी है अब केवल मंत्री परिषद की अंतिम स्वीकृति शेष है जिसके बाद यह निगम विधिवत अपनी गतिविधियां प्रारंभ कर देगा।

पहले जानते है आउटसोर्सिंग कर्मचारी निगम की आवश्यकता क्यों पड़ी

प्रदेश के विभिन्न सरकारी कार्यालय, सार्वजनिक प्रतिष्ठानों और स्वायत्त संस्थाओं में लाखों कर्मचारी आउटसोर्सिंग के माध्यम से अपनी सेवाएं दे रहे हैं इन कर्मचारियों की नियुक्ति समानता निजी सेवा प्रदाता एजेंसियों के जरिए की जाती रही है जो प्राय उनका आर्थिक व सामाजिक शोषण करती रही है इसमें प्रमुख रूप से देखने को मिला है तयसुधा वेतनमान का पूर्ण भुगतान नहीं होना, छुट्टियां और स्वास्थ्य जुड़ी सुविधाओं की अनदेखी, अनुचित सेवा अवधि और कार्य शर्तें और नौकरी में अस्थिरता और सुरक्षा का अभाव इन सभी समस्याओं को संबोधित करने हेतु ही आउटसोर्स कर्मचारी निगम की संरचना की जा रही है।

मुख्यमंत्री योगी जी की अहम घोषणा 20000 रुपए का न्यूनतम वेतन तय

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी ने जानकारी दी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए न्यूनतम ₹20000 मासिक वेतन सुनिश्चित करने की घोषणा की है हालांकि वित्तीय विभाग की ओर से 18000 रुपए का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है परंतु अंतिम फैसला मुख्यमंत्री द्वारा ही अनुमोदित किया जाएगा इस घोषणा से कर्मचारियों में आशा की एक नई लहर देखने को मिली है और उन्हें अब न्यूनतम आर्थिक सुरक्षा मिलने की उम्मीद बनने लगी है।

जाने निगम को कब तक मिल सकती है स्वीकृति

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मंत्री परिषद की आगामी बैठक में निगम गठन को स्वीकृति दिए जाने की पूरी संभावना जताई जा रही है जैसे ही इसे औपचारिक मंजूरी प्राप्त होती है वैसे ही इसके अंतर्गत नियुक्ति प्रक्रिया, वेतन वितरण, कार्य निगरानी और शिकायत समाधान तंत्र लागू कर दिया जाएंगे।

आउटसोर्स कर्मचारी निगम उत्तर प्रदेश सरकार की एक दूरदर्शी पहल है जिसका मकसद केवल शोषण को रोकना नहीं बल्कि कर्मचारियों को एक गरिमा पूर्ण और सुरक्षित कार्य वातावरण देना है यह महज नीति में बदलाव नहीं है बल्कि यह सामाजिक न्याय और श्रमिकों के हितों की दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है अब सभी की निगाहें मंत्री परिषद के अंतिम फैसले पर टिकी हुई है जिसके बाद यह योजना जमीनी स्तर पर अमल में लाई जाने की स्थिति में आ जाएगी।

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