हर साल ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को देशभर में गंगा दशहरा का पर्व बड़ी श्रद्धा और भक्ति से मनाया जाता है। यह दिन न सिर्फ गंगा नदी की पवित्रता और महत्व को दर्शाता है, बल्कि भारतीय संस्कृति में जल और प्रकृति के सम्मान की भी मिसाल है। खासतौर पर उत्तर भारत में — जैसे हरिद्वार, वाराणसी, प्रयागराज और ऋषिकेश — गंगा दशहरा का उल्लास देखते ही बनता है।
🌊 गंगा दशहरा का धार्मिक महत्व
गंगा दशहरा उस दिन की याद दिलाता है जब मां गंगा स्वर्ग से धरती पर उतरीं थीं। यह अवतरण भागीरथ की कठिन तपस्या के बाद हुआ, जिन्होंने अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए मां गंगा को पृथ्वी पर लाने का संकल्प लिया था।
मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से दस प्रकार के पापों का नाश होता है — इसलिए इसे “दशहरा” कहा जाता है (दश = दस, हरा = नाश)। इस दिन किया गया स्नान, दान और जप पुण्यदायक माना जाता है।
🪷 कैसे मनाया जाता है गंगा दशहरा?
- पवित्र स्नान – लोग तड़के उठकर गंगा में स्नान करते हैं, जिससे पापों से मुक्ति मिलती है।
- दान और पूजा – गरीबों को अन्न, वस्त्र, जल से भरे घड़े और पंखे आदि दान किए जाते हैं। गंगा मैया की पूजा की जाती है।
- आरती और दीपदान – घाटों पर हजारों दीये जलाए जाते हैं और विशेष गंगा आरती होती है जो मन को भक्ति से भर देती है।
- भजन-कीर्तन – कई स्थानों पर धार्मिक आयोजनों और कथा प्रवचनों का आयोजन होता है।
- 🌿 पर्यावरणीय संदेश
गंगा दशहरा न केवल धार्मिक रूप से, बल्कि पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि नदियाँ केवल जलधारा नहीं, बल्कि जीवनदायिनी हैं। आज जब गंगा प्रदूषण की मार झेल रही है, यह हमारा कर्तव्य बनता है कि हम उसकी पवित्रता बनाए रखें।
- प्लास्टिक और गंदगी को गंगा में न फेंके
- जैविक पूजा सामग्री का ही उपयोग करें
- गंगा किनारे स्वच्छता बनाए रखें
✨ गंगा दशहरा का संदेश
गंगा दशहरा हमें आस्था, शुद्धता, त्याग और मोक्ष का संदेश देता है। यह पर्व केवल एक नदी की पूजा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति में प्रकृति के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है।
इस पावन अवसर पर आइए हम संकल्प लें कि गंगा जैसी पवित्र नदियों को स्वच्छ बनाए रखने में अपना योगदान देंगे।
आप सभी को गंगा दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं!“गंगा मैया की जय!”
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