UP सरकार का बड़ा फैसला: इन कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र बढ़ाई गई, जानिए कौन होंगे शामिल?

 नमस्कार पाठकों,

उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बहुत ही अहम फैसला लिया है जो राज्य के हजारों कर्मचारियों के लिए राहत की खबर बनकर आया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में भाषा संस्थान के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति (रिटायरमेंट) उम्र 58 साल से बढ़ाकर 60 साल कर दी गई है। इस फैसले का लाभ भाषा, साहित्य और शिक्षा क्षेत्र में काम कर रहे सैकड़ों कर्मचारियों को मिलेगा।

भाषा संस्थान के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति उम्र अब 60 साल
योगी सरकार का बड़ा फैसला: अब 60 साल की उम्र में रिटायर होंगे भाषा संस्थान कर्मचारी

पहले क्या था नियम? कर्मचारियों को क्यों थी परेशानी?

अब तक उत्तर प्रदेश के भाषा संस्थान में कार्यरत कर्मचारी 58 वर्ष की आयु में ही सेवानिवृत्त हो जाते थे। जबकि राज्य के अन्य शैक्षणिक, सांस्कृतिक और स्वायत्तशासी संस्थानों में सेवानिवृत्ति की उम्र पहले से ही 60 वर्ष निर्धारित है। इससे भाषा संस्थान के कर्मचारियों के साथ एक तरह से भेदभाव होता था।

कर्मचारी लंबे समय से सरकार से मांग कर रहे थे कि सभी शैक्षणिक संस्थानों में सेवानिवृत्ति की उम्र समान होनी चाहिए। उनकी मांग यह थी कि जिस तरह अन्य संस्थानों में लोग 60 साल तक काम कर सकते हैं, उन्हें भी वही अवसर मिलना चाहिए।

कब हुआ ये ऐतिहासिक निर्णय?

यह निर्णय 3 जुलाई 2025 को हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया। इस बैठक की अध्यक्षता स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की। यह फैसला राज्य के भाषा संस्थान से जुड़े कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है।

सरकार ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय समान सेवा शर्तों को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है। अब भाषा संस्थान के कर्मचारियों को भी उसी तरह का सेवा लाभ मिलेगा जैसा राज्य के अन्य सरकारी स्वायत्तशासी संस्थानों में दिया जा रहा है।

 पुराना आदेश बना इस फैसले की नींव

असल में, इस फैसले की जड़ें वर्ष 2013 के एक सरकारी आदेश में छिपी हैं। उस समय उत्तर प्रदेश सरकार ने यह निर्देश जारी किया था कि राज्य के सभी स्वायत्तशासी संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों की सेवा शर्तें एक समान होंगी।

हालाँकि, भाषा संस्थान में यह आदेश अभी तक पूरी तरह लागू नहीं हुआ था। इसी वजह से वहां कार्यरत कर्मचारी दो साल पहले ही रिटायर हो रहे थे। अब सरकार ने इस पुरानी विसंगति को खत्म करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि भाषा संस्थान के सभी कर्मचारियों को भी अब 60 साल तक सेवा का मौका मिलेगा।

किन कर्मचारियों को मिलेगा लाभ?

यह निर्णय खासतौर पर उन कर्मचारियों के लिए लाभकारी होगा जो:

  • उत्तर प्रदेश के भाषा संस्थान में कार्यरत हैं
  • साहित्य, संस्कृति, भाषाई अध्ययन, अनुवाद आदि से जुड़े कार्य करते हैं
  • वर्षों से अनुभव और विद्वता के साथ अपनी सेवा दे रहे हैं

इस फैसले से कर्मचारियों के आर्थिक और सामाजिक अधिकारों को मजबूती मिलेगी और साथ ही संस्थान को भी अनुभवी स्टाफ से लाभ मिलेगा।

 यह फैसला क्यों है ज़रूरी?

  • अन्य संस्थानों के बराबरी का हक
    जब बाकी सरकारी संस्थानों में 60 साल की सेवानिवृत्ति लागू है तो भाषा संस्थान के कर्मचारियों के साथ भेदभाव क्यों हो?

  • कर्मचारियों की अनुभवशक्ति बनी रहेगी
    अनुभवी कर्मचारी भाषा संस्थान में साहित्य, अनुवाद, शोध और भाषाई कार्यों में योगदान देते हैं। उन्हें दो साल और सेवा का मौका मिलेगा।

  • भविष्य में प्रेरणा बनेगा
    यह फैसला राज्य के अन्य विभागों में भी समानता और पारदर्शिता की प्रेरणा देगा।

 क्या होगा इसका सीधा असर?

इस फैसले से कई सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेंगे:

  1.  कर्मचारियों को दो साल का अतिरिक्त कार्यकाल मिलेगा
  2.  सेवानिवृत्त होने वाले स्टाफ को समय पर प्रोविडेंट फंड और पेंशन का लाभ मिलेगा
  3.  संस्थान को अनुभवी और योग्य स्टाफ से निरंतर सहयोग मिलता रहेगा
  4.  शिक्षा और भाषा विकास को मजबूती मिलेगी

कर्मचारियों ने जताई खुशी

भाषा संस्थान के कई कर्मचारियों और प्रोफेसरों ने इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह एक बहुत सकारात्मक और सही समय पर लिया गया फैसला है। इससे न केवल उनका आत्मविश्वास बढ़ा है बल्कि काम के प्रति उनका समर्पण भी और मजबूत होगा।

 निष्कर्ष: एक स्वागत योग्य निर्णय

उत्तर प्रदेश सरकार का यह कदम एक संतुलित, न्यायसंगत और दूरदर्शी निर्णय है। यह फैसला न केवल कर्मचारियों के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि भाषा और साहित्य के क्षेत्र में निरंतरता बनाए रखने का काम भी करेगा। ऐसे फैसले समाज के बौद्धिक और सांस्कृतिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

Disclaimer (अस्वीकरण)

इस लेख में दी गई सभी जानकारियाँ विभिन्न समाचार स्रोतों एवं सार्वजनिक सूचना के आधार पर प्रस्तुत की गई हैं। हमारा उद्देश्य केवल सूचना साझा करना है। पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी निर्णय या प्रक्रिया से पहले संबंधित विभाग या आधिकारिक वेबसाइट से पुष्टि अवश्य करें। लेखक या वेबसाइट किसी प्रकार की त्रुटि, परिवर्तन या अद्यतन के लिए उत्तरदायी नहीं होगी।

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